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यादों के झरोखे से लेखनी कहानी मेरी डायरी-14-Nov-2022 भाग 27


       गेटवे आफ इन्डिया
    
           अगले दिन हम एक नयी यात्रा पर चल दिए। हम आज मुम्बई में भारत के प्रवेश द्वार गेटवे आफ इन्डिया देखने पहुँच गये।  गेटवेआफ इन्डिया के निर्माण का इतिहास इस प्रकारहै :-

         गेटवे ऑफ इंडिया भारत में 20 वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया एक ऐतिहासिक स्मारक है। यह मुंबई के दक्षिण में  अरब सागर के किनारे छत्रपति शिवाजी महाराज मार्ग के अंत में अपोलो बंदर क्षेत्र के तट पर स्थित है। गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई के “ताजमहल” के रूप में भी जाना जाता है। 

      यह मुंबई शहर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है और दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह स्मारक देश के प्रमुख बंदरगाहों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करता है। चूंकि पर्यटन स्थल होने के कारण यहां हमेशा भीड़ जमा रहती है इसलिए यह जगह कई फोटोग्राफरों, विक्रेताओं और खाद्य विक्रेताओं को व्यवसाय भी प्रदान करती है और उनकी रोजी रोटी का भी मुख्य साधन है।

                  गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण की योजना दिसंबर 1911 में दिल्ली दरबार से पहले किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी की मुंबई यात्रा के उपलक्ष्य में बनायी गयी था। हालांकि, उन्हें केवल स्मारक का एक कार्डबोर्ड मॉडल देखने को मिला, क्योंकि निर्माण तब तक शुरू नहीं हुआ था।

                   31 मार्च, 1913 को बॉम्बे के गवर्नर सर जॉर्ज सिडेनहैम क्लार्क ने गेटवे ऑफ इंडिया की आधारशिला रखी। 31 मार्च, 1914 को वास्तुकार जॉर्ज विटेट द्वारा गेटवे ऑफ इंडिया का अंतिम डिजाइन प्रस्तुत किया गया था। जिस भूमि पर गेटवे बनाया गया था, वह पहले एक कच्चा जेट था, जिसका उपयोग मछली पकड़ने वाले समुदाय द्वारा किया गया था

            जिसे बाद में पुनर्निर्मित किया गया था और ब्रिटिश गवर्नर और अन्य प्रमुख लोगों के लिए लैंडिंग स्थल के रूप में उपयोग किया गया था। 1915 और 1919 के बीच, अपोलो बंडार (पोर्ट) में उस भूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए काम शुरू हुआ, जिस पर प्रवेश द्वार और नई समुद्री दीवार बनाने की योजना थी। गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण कार्य 1920 में शुरू हुआ जो चार वर्षों बाद अर्थात् 1924 में बनकर पूरा हुआ। गेटवे ऑफ इंडिया को 4 दिसंबर, 1924 को वायसराय अर्ल ऑफ रीडिंग ने इस स्मारक का उद्घाटन किया और उसी दिन यह लोगों के लिए खोला गया था। धन की कमी के कारण गेटवे ऑफ इंडिया के समीप प्रस्तावित रोड नहीं बनाया गया था।

              भारत को आजादी मिलने के बाद अंतिम ब्रिटिश सेना गेटवे ऑफ इंडिया के द्वार से होकर ही वापस गई थी। यह स्मारक अरब सागर से होकर आने वाली जहाजों के लिए भारत का द्वार कहलाता है।

                    गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण में कुल 21 लाख रूपये का खर्च आया था और संपूर्ण खर्च भारत सरकार द्वारा उठाया गया था।

                गेटवे ऑफ इंडिया के चार बुर्ज हैं जिसे जाली से बनाया गया था।    गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई शहर की भव्यता को परिभाषित करता है जो ऐतिहासिक और आधुनिक सांस्कृतिक वातावरण दोनों की परिणति है।
     
              गेटवे ऑफ इंडिया के सामने मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगी है जो मराठाओं के गर्व और साहस के प्रतीक को प्रदर्शित करती है।माना जाता है कि गेटवे ऑफ इंडिया की ऊंचाई आठ मंजिल के बराबर है।

              चूंकि मुंबई मेट्रो सिटी है इसलिए यहां होटलों की संख्या काफी ज्यादा है। गेटवे ऑफ इंडिया के आसपास द ताज महल टॉवर, द ताज महल पैलेस, होटल हार्बर व्यू, एबोड बॉम्बे सहित सैकड़ों होटल हैं जहां विभिन्न कीमतों पर कमरे उपलब्ध हैं। आप यहां ठहरने के लिए अपनी सुविधानुसार प्री बुकिंग भी करा सकते हैं।

   हमने वहाँ पर खूम मस्ती की और फोटो भी खिचवाएं। यदि  समुन्दर के किनारे बनाई गयी बाउन्डरी के किनारे  खडे होगये तब आप समुन्दर  की आने वाली लहरो से भीगकर ही आओगे।

   इसके बाद हम घर वापिस आगये।

यादों के झरोखे से २०२२
नरेश शर्मा " पचौरी "

   


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4 Comments

Radhika

05-Mar-2023 08:03 PM

Nice

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shweta soni

03-Mar-2023 10:03 PM

👌👌👌

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अदिति झा

03-Mar-2023 02:28 PM

Nice 👍🏼

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